नैनी झील: सात पहाड़ियों से घिरी एक बेहद ही खूबसूरत झील -
नैनी झील: सात पहाड़ियों से घिरी एक बेहद ही खूबसूरत झील -
उत्तराखंड! यानि देव भूमि। इस राज्य के लगभग हर शहर में कुछ ऐसी जगहें हैं जो आज से नहीं बल्कि पौराणिक काल से बेहद ही लोकप्रिय जगह मानी जाती है। सबसे खूबसूरत हिल स्टेशन में शुमार नैनीताल के बारे में भला कौन नहीं जानना चाहेगा। इस शहर में मौजूद अन्य जगहों की तरह नैनी झील यानि नैनीताल झील भी बेहद फेमस जगह है। ताजे पानी की सुरम्य झील नैनीताल के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। विशेष रूप से सुबह और सूर्यास्त के दौरान लुभावने दृश्य के लिए समूचे भारत में फेमस है। इस झील की कई रोचक कहानियां हैं, जिसके बारे में बहुत कम लोगों को ही मालूम होगा। आज इस लेख में हम आपको नैनी झील (नैनीताल झील) के बारे में कुछ रोचक तथ्यों के बारे में बताने जा रहे हैं, तो आइए जानते हैं।
इस झील को लेकर कई ऐतिहासिक और धार्मिक तथ्य जुड़े हैं। एक ऐतिहासिक रिकॉर्ड के अनुसार लगभग साल 1839 में, एक यूरोपीय व्यवसायी ने नैनी झील की खोज की थी। वहीं हिंदू ग्रंथों के अनुसार स्कंद पुराण में इस झील का नाम त्रिऋषि सरोवर से प्रचलित है। कहा जाता है कि पौराणिक काल में इसी जगह तीन महान ऋषि ध्यान करा करते थे और उन्होंने एक गड्ढा खोदा, जो पानी से भर गया और इसके बाद इसे नैनी झील और त्रिऋषि सरोवर के नाम से जाना जाने लगा।
शायद आपको मालूम हो, अगर नहीं मालूम है तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि नैनी झील को भारत के 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। इस झील को कई लोग देवी सती की मृत्यु की कहानी से भी जोड़कर देखते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार जब शिव ने सुदर्शन चक्र का उपयोग करते हुए देवी सती के शरीर को 52 हिस्सों में काटा, तब उनकी आंख इसी स्थल पर गिरी थी, जिसके बाद आंख की नैन ताल या झील के रूप में जाना जाने लगा। आज भी कई लोग इस झील को नैनी देवी माता के नाम से जानते हैं।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि नैनी यानि नैनीताल झील सात पहाड़ियों से घिरी हुई हैं। उत्तर पश्चिम में नैनी पीक, दक्षिण पश्चिम में टिफिन प्वाइंट और उत्तर में बर्फ से ढकी चोटियों से घिरी है।
शायद, आपको मालूम हो अगर नहीं मालूम है तो आपको बता दें कि हर साल नैनी झील में नौकायन प्रतियोगिता आयोजित की जाती है।
इसके अलावा अक्टूबर और नवंबर के महीनों के दौरान कुमाऊं उत्सव का आयोजन भी किया जाता है।
इस जगह को माता सती के स्थापित 52 शक्तिपीठों में एक महत्वपूर्ण स्थल माना जाता है।
ब्रिटिश काल में अंग्रेजों की यह सबसे पसंदीदा जगहों में से एक थी, यहां सुबह और शाम को टहलने के लिए आते थे।
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